बुधवार, 31 अगस्त 2016

हेमा मालिनी की सुन्दरता का रहस्य

मित्रो एक फिल्मी कलाकार है जिनका नाम है धर्मेन्द्र ! एक बार राजीव भाई ने 10 औडियो कैसेट निकाले !
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धर्मेन्द्र ने राजीव भाई को काल किया और कहा की आपके कैसेट सुनने के लिए उसने 10 घंटे तक लगातार गाड़ी चलाई ! और जब तक कैसेट खत्म नहीं हुये तब तक घर नहीं गया !!
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राजीव भाई ने कहा बहुत अच्छी बात है धर्मेन्द्र ने कहा मैं आपका व्याख्यान करवाना चाहता हूँ आप कितने पैसे लेंगे ??राजीव भाई ने कहा मैं व्याख्यान के लिए पैसे नहीं लेता !
राजीव भाई ने कहा आऊँगा पर एक शर्त है ये जितने भी फिल्मी कलाकार है सबको बुला लेना!! फिर धर्मेन्द्र ने राजीव भाई को व्याख्यान के लिए बुलाया !

मंगलवार, 30 अगस्त 2016

विश्व में भुखमरी का कारण है जानवरों का कत्लेआम

दोस्तों अगर पुरे विश्व के लोग मॉस खाना बंद कर दे तो पूरी दुनिया में इतना अनाज पैदा होता है कि पुरे विश्व के एक एक व्यक्ति का तो पेट भरा जा सकता है इसके आलावा अगर इतनी ही एक दूसरी दुनिया पैदा हो जाये उसका भी पेट भरा जा सकेगा अब आपको एक आंकड़े से समझाते है
इस समय पूरी दुनिया में 650 करोड़ लोग रहते है भारत में 115 करोड़ लोग है, चीन में 140 करोड़ लोग है ये दो देश है जिनकी जनसंख्या सबसे ज्यादा है इसके आलावा तीसरा सबसे बड़ा देश है अमेरिका जहा पर लगभग 27 करोड़ लोग है इसके बाद यूरोप के 15 देश है फ़्रांस है जर्मनी है स्पेन है हॉलैंड है पुर्तगाल है इन 15 देशो की कुल जनसँख्या 30 करोड़ है फिर अफ्रीका है फिर लैटिन अमेरिका है सारी दुनिया में कुल 650 करोड़ लोग है
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राजीव भाई कहना ये चाहते है कि अगर पूरी दुनिया की जनसँख्या दो गुनी हो जाये यानी 1300 करोड हो जाये और मास उद्योग पर ताला लगा दिया जाये तो जितना भोजन आज यानी गेहू, चना, दाल, चावल, सब्जी, फल आदि पूरी दुनिया में पैदा होता है जितना अनाज आज पैदा हो रहा है वो इन 1300 करोड़ लोगो का पेट भरने को प्रयाप्त है आप कहेगे वो कैसे ये बात आपको समझ नहीं आई होगी तो आपको समझाते है
दुनिया में जो मास का उत्पादन होता है उसकी प्रक्रिया क्या है वो आपको जानना होगा दुनिया में मास का उत्पादन होता है जानवरों का कतल करके| और जानवरों में सबसे ज्यादा कतल होने वाला जो प्राणी है उसका नाम है गाय, गाय के वंश का बैल, गाय के वंश के बछड़े और बछिया, सबसे ज्यादा ये कतल होते है पूरी दुनिया में| उसके बाद दुसरे न. पर जो सबसे ज्यादा कतल होने वाला प्राणी है पूरी दुनिया में वो है सुवर| उसके बाद तीसरे न. पर जो सबसे ज्यादा कतल होने वाला प्राणी है पूरी दुनिया में वो है भैस और चौथे न. पर जो सबसे ज्यादा कतल होने वाला जो प्राणी है वो है बकरे, बकरियां और भेड और पांचवे न. पर जो सबसे ज्यादा कतल होने वाला जो प्राणी है वो है मुर्गे और मुर्गियां और उसके बाद आते है छोटे पक्षी जिनकी कोई गिनती है | इन जानवरों को कतल करने से पहले इनके शरीर में मांस ज्यादा हो तो कतल करने वाले उद्योगों को फायदा ज्यादा होता है तो जानवरों के शरीर में मांस बढाने के लिये उनको अनाज खिलाया जाता है गेहू खिलाते है, गेहू के आलावा चावल और चना आदि खिलाते है और मक्की और बाजरी खिलाते है तो इन सब जानवरों को भोजन खिलाया जाता है| और ये सभी जानवर प्रकृति से घास खाने वाले है गाय घास खाने वाली है भैस घास खाने वाली है, इसी तरह सुवर मनुष्य का मल और दूसरी चीजे खाने वाला है इसी तरह बकरे और बकरियां पूरी तरह से शाहकारी जीव है और ये मुर्गे मुर्गियां ज्यादातर ऐसी ही चीजे खाते है तो ये जानवर जो है ये घास खाने वाले और चारा चरने वाले जीव है लेकिन मांस उत्पादन करने वाली कंपनियां इनको जबरदस्ती अनाज, दाल मटर और बाजारी और मक्की ऐसी चीजे खिलाते है इनको खिलने ये इनको ये फायदा होता है कि अगर गेहू, सोयाबीन या कोई और अनाज खिलाया जाये तो वो बहुत जल्दी मोटे होने लगते है| बहुत जल्दी उनके शरीर में चर्बी बढने लगती है बहुत जल्दी उनका शरीर भरी होने लगता है और जानवरों को काटकर बेचने वाले जो लोग है उनके लिये तो सबसे अच्छा यही है कि जो जानवर जितना ज्यादा भारी होगा जितना ज्यादा मोटा होगा, मास उतना ज्यादा होगा और जितना ज्यादा मांस होगा मुनाफा उतना ही ज्यादा होगा| इसीलिये मास उत्पादन करने वाली कंपनियां जानवरों को वो भोजन करवाते है जो भोजन मनुष्य के लिये है अब वो मनुष्य का भोजन जानवरों को करवा दिया जाता है तो मनुष्य के हीस्से में भोजन कम पड़ना शुरू हो जाता है और वही भोजन की कमी हजारो – लाखो लोगो को भूख से मार देती है
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अब थोड़े आंकड़ो की बात करते है सारी दुनिया के जानवरों को जो अनाज खिलाया जाता है वो कुल उत्पादन का लगभग 40% है है भारत जैसे देशो में और 70% है अमेरिका जैसे देशो में|
भारत और अमेरिका की राजीव भाई ने अलग अलग श्रेणिया बनाई है भारत का मतलब है दुनिया के सभी गरीब देश| जैसे भारत एक देश है, इंडोनेशिया है, मलेशिया है, पाकिस्तान है, बांग्लादेश है तो भारत जैसे दुनिए में 186 देश है जिनको गरीब देश कहा जाता है आजकल इन देशो के लिये एक अंग्रेजी का शब्द की विकशित हु है जो है Developing Country (विकासशील देश) | तो भारत जैसे 186 देश है इन सभी देशो में मांस उत्पादन के लिये कुल कृषि उत्पन का 40% जानवरों को खिलाया जाता है अब दूसरी तरफ अमेरिका है, जर्मनी है, फ्रांस है, ब्रिटेन है का कनाडा है और यूरोप के कई सारे देश है| इन देशो में कुल कृषि उत्पादन का 70% जानवरों को खिलाया जाता है आप सोचेये अमेरिका में जितना गेहू पैदा होता है उस पैदा हुए गेहू का 70% जानवरों को खिलाया जाता है अमेरिका के जानवर गेहू , सोयाबीन और अन्य कृषि उत्पन खाकर जल्दी से मोटे हो जाये, जल्दी से उनके शरीर में मांस बढ़ जाये, ज्यादा मोटे हो जाये और फिर उनको काटकर उनका मांस दुनिया में बेचकर कंपनिया ज्यादा मुनाफा कमाए|
आप सोचेये जो आमिर देश है उनके कृषि उत्पादन का 70% जानवर खा जाते है जो गरीब देश है वहा मांस उत्पादन के लिये कुल उत्पादन का 40% अनाज जानवर खा जाते है अगर इनका ओसत निकाला जाये 70+40=110/2 =55% यानि दुनिया में आधा अनाज जानवरों को खिलाकर, उनको मोटा बनाकर फिर उनका मांस कुछ लोग खाते है| अगर इस तर्क को सीधा सा समझने की कोशिस करे कि आधे से ज्यादा अनाज पहले हम जानवरों को खिलाकर उनको मोटा बनाए, फिर उनका मांस हम खाए इससे अच्छा सीधा सीधा ये है कि वो आधा अनाज सीधे ही हम खा जाये तो जितनी जनसँख्या की आज पूर्ति हो रही है उससे दुगनी जनसँख्या की पूर्ति ऐसे ही हो जाएगी |
तो आप कहेगे की जानवरों के लिये कहा से आयेगा तो प्रकृति ने ऐसी सुन्दर व्यवस्था की है कि जहा से आपके लिये भोजन आता है वही से जानवरों के लिये भी पैदा हो जाता है उसके लिये अतिरिक्त प्रयास नहीं करना पड़त| जब आप खेती करते है हम गेहू पैदा करते है गेहू का ऊपर वाला हीस्सा हमारे काम आ जाता है उससे निचे का पूरा हीस्सा गाय बेल या भैस के काम आ जाता है खाने के लिये| तो अतिरिक्त कुछ पैदा नहीं करना पड़ता जानवर के लिये| इसका सीधा सा मतलब है मनुष्य के लिये जो पैदा हो रहा है उसी में से जानवरों की पूर्ति होती है| हम मक्के के उत्पादन करते है, बाजरे के उत्पादन करते है तो मक्की और बाजरे का जो ऊपर का हीस्सा होता है जो लगभग 1 फूट का होता है वो तो हमारे काम आ जायेगा और बचा हुआ नीचे का हीस्सा का 6-7 फुट का जो हीस्सा है वो तो किसी जानवर के ही काम आने वाला है|
प्रकृति और परमात्मा ने तो व्यवस्था ऐसी की है कि मनुष्य के लिये कुल उत्पादन जितना चाहीए उससे 6-7 गुणा ज्यादा उत्पादन चारे और घास के रूप में जानवरों के लिये भी हो ही जाता है उसके लिये कोई अतिरिक्त प्रयास नहीं करना पड़ता | इसलिये हमें जानवरों की यह चिंता छोड़ देनी चाहीए कि उनको अनाज नहीं खिलायेगे तो उनका पेट कहा से भरेगा| उनका पेट भरने के लिये तो प्रकृति और परमात्मा ने व्यवस्था की हुई है| आप तो बस ये चिंता करिये कि इनको काट काट कर अपने मुह में ठूसना बंद कर दीजिये उनकी व्यवस्था तो बहुत सुन्दर और अछे से है

खाना खाने के तुरंत बाद पानी पीने से शुरू होती है बीमारियाँ

सबसे पहले आप हमेशा ये बात याद रखें कि शरीर मे सारी बीमारियाँ वात-पित्त और कफ के बिगड़ने से ही होती हैं !
अब आप पूछेंगे ये वात-पित्त और कफ क्या होता है ???
बहुत ज्यादा गहराई मे जाने की जरूरत नहीं आप ऐसे समझे की सिर से लेकर छाती के बीच तक जितने रोग होते हैं वो सब कफ बिगड़ने के कारण होते हैं ! छाती के बीच से लेकर पेट और कमर के अंत तक जितने रोग होते हैं वो पित्त बिगड़ने के कारण होते हैं ! और कमर से लेकर घुटने और पैरों के अंत तक जितने रोग होते हैं वो सब वात बिगड़ने के कारण होते हैं !
हमारे हाथ की कलाई मे ये वात-पित्त और कफ की तीन नाड़ियाँ होती हैं ! भारत मे ऐसे ऐसे नाड़ी विशेषज्ञ रहे हैं जो आपकी नाड़ी पकड़ कर ये बता दिया करते थे कि आपने एक सप्ताह पहले क्या खाया एक दिन पहले क्या खाया -दो पहले क्या खाया !! और नाड़ी पकड़ कर ही बता देते थे कि आपको क्या रोग है ! आजकल ऐसी बहुत ही कम मिलते हैं!
शायद आपके मन मे सवाल आए ये वात -पित्त कफ दिखने मे कैसे होते हैं ???
तो फिलहाल आप इतना जान लीजिये ! कफ और पित्त लगभग एक जैसे होते हैं ! आम भाषा मे नाक से निकलने वाली बलगम को कफ कहते हैं ! कफ थोड़ा गाढ़ा और चिपचिपा होता है ! मुंह मे से निकलने वाली बलगम को पित्त कहते हैं ! ये कम चिपचिपा और द्रव्य जैसा होता है !! और शरीर से निकले वाली वायु को वात कहते हैं !! ये अदृश्य होती है !
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कई बार पेट मे गैस बनने के कारण सिर दर्द होता है तो इसे आप कफ का रोग नहीं कहेंगे इसे पित्त का रोग कहेंगे !! क्यूंकि पित्त बिगड़ने से गैस हो रही है और सिर दर्द हो रहा है ! ये ज्ञान बहुत गहरा है खैर आप इतना याद रखें कि इस वात -पित्त और कफ के संतुलन के बिगड़ने से ही सभी रोग आते हैं !
और ये तीनों ही मनुष्य की आयु के साथ अलग अलग ढंग से बढ़ते हैं ! बच्चे के पैदा होने से 14 वर्ष की आयु तक कफ के रोग ज्यादा होते है ! बार बार खांसी ,सर्दी ,छींके आना आदि होगा ! 14 वर्ष से 60 साल तक पित्त के रोग सबसे ज्यादा होते हैं बार बार पेट दर्द करना ,गैस बनना ,खट्टी खट्टी डकारे आना आदि !! और उसके बाद बुढ़ापे मे वात के रोग सबसे ज्यादा होते हैं घुटने दुखना ,जोड़ो का दर्द आदि
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भारत मे 3 हजार साल पहले एक ऋषि हुए है उनका नाम था वाग्बट्ट ! उन्होने ने एक किताब लिखी जिसका नाम था अष्टांग हृदयं !! वो ऋषि 135 साल तक की आयु तक जीवित रहे थे ! अष्टांग हृदयं मे वाग्बट्टजी कहते हैं की जिंदगी मे वात्त,पित्त और कफ संतुलित रखना ही सबसे अच्छी कला है और कौशल्य है सारी जिंदगी प्रयास पूर्वक आपको एक ही काम करना है की हमारा वात्त,पित्त और कफ नियमित रहे,संतुलित रहे और सुरक्षित रहे|जितना चाहिए उतना वात्त रहे,जितना चाहिए उतना पित्त रहे और जितना चाहिए उतना कफ रहे|तो जितना चाहिए उतना वात्त,पित्त और कफ रहे उसके लिए क्या करना है
उसके लिए उन्होने 7000 सूत्र लिखे हैं उस किताब मे !
उसमे सबसे महत्व पूर्ण और पहला सूत्र है :
भोजनान्ते विषं वारी (मतलब खाना खाने के तुरंत बाद पानी पीना जहर पीने के बराबर है | )
अब समझते हैं क्या कहा वाग्बट्टजी ने !!
कभी भी खाना खाने के तुरंत बाद पानी नहीं पीना !! अब आप कहेंगे हम तो हमेशा यही करते हैं ! 99% लोग ऐसे होते है जो पानी लिए बिना खाना नहीं खाते है |पानी पहले होता है खाना बाद मे होता है |बहुत सारे लोग तो खाना खाने से ज्यादा पानी पीते है दो-चार रोटी के टुकडो को खाया फिर पानी पिया,फिर खाया-फिर पानी पिया ! ऐसी अवस्था मे वाग्बट्टजी बिलकुल ऐसी बात करते हे की पानी ही नहीं पीना खाना खाने के बाद ! कारण क्या ? क्यों नहीं पीना है ??
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ये जानना बहुत जरुरी है …हम पानी क्यों ना पीये खाना खाने के बाद क्या कारण है |
बात ऐसी है की हमारा जो शरीर है शरीर का पूरा केंद्र है हमारा पेट|ये पूरा शरीर चलता है पेट की ताकत से और पेट चलता है भोजन की ताकत से|जो कुछ भी हम खाते है वो ही हमारे पेट की ताकत है |हमने दाल खाई,हमने सब्जी खाई, हमने रोटी खाई, हमने दही खाया लस्सी पी कुछ भी दूध,दही छाझ लस्सी फल आदि|ये सब कुछ भोजन के रूप मे हमने ग्रहण किया ये सब कुछ हमको उर्जा देता है और पेट उस उर्जा को आगे ट्रांसफर करता है |आप कुछ भी खाते है पेट उसके लिए उर्जा का आधार बनता है |अब हम खाते है तो पेट मे सब कुछ जाता है|पेट मे एक छोटा सा स्थान होता है जिसको हम हिंदी मे कहते है अमाशय|उसी स्थान का संस्कृत नाम है जठर|उसी स्थान को अंग्रेजी मे कहते है epigastrium |ये एक थेली की तरह होता है और यह जठर हमारे शरीर मे सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि सारा खाना सबसे पहले इसी मे आता है ये |बहुत छोटा सा स्थान हैं इसमें अधिक से अधिक 350GMS खाना आ सकता है |हम कुछ भी खाते सब ये अमाशय मे आ जाता है|
अब अमाशय मे क्या होता है खाना जैसे ही पहुँचता है तो यह भगवान की बनाई हुई व्यवस्था है जो शरीर मे है की तुरंत इसमें आग(अग्नि) जल जाती है |आमाशय मे अग्नि प्रदीप्त होती है उसी को कहते हे जठराग्नि|ये जठराग्नि है वो अमाशय मे प्रदीप्त होने वाली आग है |ये आग ऐसी ही होती है जेसे रसोई गेस की आग|आप की रसोई गेस की आग है ना की जेसे आपने स्विच ओन किया आग जल गयी|ऐसे ही पेट मे होता है जेसे ही आपने खाना खाया की जठराग्नि प्रदीप्त हो गयी |यह ऑटोमेटिक है,जेसे ही अपने रोटी का पहला टुकड़ा मुँह मे डाला की इधर जठराग्नि प्रदीप्त हो गई|ये अग्नि तब तक जलती हे जब तक खाना पचता है |आपने खाना खाया और अग्नि जल गयी अब अग्नि खाने को पचाती है |वो ऐसे ही पचाती है जेसे रसोई गेस|आपने रसोई गेस पर बरतन रखकर थोडा दूध डाल दिया और उसमे चावल डाल दिया तो जब तक अग्नि जलेगी तब तक खीर बनेगी|इसी तरह अपने पानी डाल दिया और चावल डाल दिए तो जब तक अग्नि जलेगी चावल पकेगा|
अब अपने खाते ही गटागट पानी पी लिया और खूब ठंडा पानी पी लिया|और कई लोग तो बोतल पे बोतल पी जाते है |अब होने वाला एक ही काम है जो आग(जठराग्नि) जल रही थी वो बुझ गयी|आग अगर बुझ गयी तो खाने की पचने की जो क्रिया है वो रुक गयी|अब हमेशा याद रखें खाना पचने पर हमारे पेट मे दो ही क्रिया होती है |एक क्रिया है जिसको हम कहते हे Digation और दूसरी है fermentation|फर्मेंटेशन का मतलब है सडना और डायजेशन का मतलब हे पचना|
आयुर्वेद के हिसाब से आग जलेगी तो खाना पचेगा,खाना पचेगा तो उसका रस बनेगा|जो रस बनेगा तो उसी रस से मांस,मज्जा,रक्त,वीर्य,हड्डिया,मल,मूत्र और अस्थि बनेगा और सबसे अंत मे मेद बनेगा|ये तभी होगा जब खाना पचेगा|
अब ध्यान से पढ़े इन् शब्दों को मांस की हमें जरुरत है हम सबको,मज्जा की जरुरत है ,रक्त की भी जरुरत है ,वीर्य की भी जरुरत है ,अस्थि भी चाहिए,मेद भी चाहिए|यह सब हमें चाहिए|जो नहीं चाहिए वो मल नहीं चाहिए और मूत्र नहीं चाहिए|मल और मूत्र बनेगा जरुर ! लेकिन वो हमें चाहिए नहीं तो शरीर हर दिन उसको छोड़ देगा|मल को भी छोड़ देगा और मूत्र को भी छोड़ देगा बाकि जो चाहिए शरीर उसको धारण कर लेगा|
ये तो हुई खाना पचने की बात अब जब खाना सड़ेगा तब क्या होगा..?
अगर आपने खाना खाने के तुरंत बाद पानी पी लिया तो जठराग्नि नहीं जलेगी,खाना नहीं पचेगा और वही खाना फिर सड़ेगा|और सड़ने के बाद उसमे जहर बनेंगे|
खाने के सड़ने पर सबसे पहला जहर जो बनता है वो हे यूरिक एसिड(uric acid )|कई बार आप डॉक्टर के पास जाकर कहते है की मुझे घुटने मे दर्द हो रहा है ,मुझे कंधे-कमर मे दर्द हो रहा है तो डॉक्टर कहेगा आपका यूरिक एसिड बढ़ रहा है आप ये दवा खाओ,वो दवा खाओ यूरिक एसिड कम करो|यह यूरिक एसिड विष (जहर ) है और यह इतना खतरनाक विष है की अगर अपने इसको कन्ट्रोल नहीं किया तो ये आपके शरीर को उस स्थिति मे ले जा सकता है की आप एक कदम भी चल ना सके|आपको बिस्तर मे ही पड़े रहना पड़े पेशाब भी बिस्तर मे करनी पड़े और संडास भी बिस्तर मे ही करनी पड़े यूरिक एसिड इतना खतरनाक है |इस लिए यह इतना खराब विष हे नहीं बनना चाहिए |
और एक दूसरा उदाहरण खाना जब सड़ता है तो यूरिक एसिड जेसा ही एक दूसरा विष बनता है जिसको हम कहते हे LDL (Low Density lipoprotive) माने खराब कोलेस्ट्रोल(cholesterol )|जब आप ब्लड प्रेशर(BP) चेक कराने डॉक्टर के पास जाते हैं तो वो आपको कहता है (HIGH BP )हाय बीपी है आप पूछोगे कारण बताओ? तो वो कहेगा कोलेस्ट्रोल बहुत ज्यादा बढ़ा हुआ है |आप ज्यादा पूछोगे की कोलेस्ट्रोल कौनसा बहुत है ? तो वो आपको कहेगा LDL बहुत है |
इससे भी ज्यादा खतरनाक विष हे वो है VLDL(Very Low Density lipoprotive)|ये भी कोलेस्ट्रॉल जेसा ही विष है |अगर VLDL बहुत बढ़ गया तो आपको भगवान भी नहीं बचा सकता|
खाना सड़ने पर और जो जहर बनते है उसमे एक ओर विष है जिसको अंग्रेजी मे हम कहते है triglycerides|जब भी डॉक्टर आपको कहे की आपका triglycerides बढ़ा हुआ हे तो समज लीजिए की आपके शरीर मे विष निर्माण हो रहा है |
तो कोई यूरिक एसिड के नाम से कहे,कोई कोलेस्ट्रोल के नाम से कहे,कोई LDL – VLDL के नाम से कहे समज लीजिए की ये विष हे और ऐसे विष 103 है |ये सभी विष तब बनते है जब खाना सड़ता है |
मतलब समझ लीजिए किसी का कोलेस्ट्रोल बढ़ा हुआ है तो एक ही मिनिट मे ध्यान आना चाहिए की खाना पच नहीं रहा है ,कोई कहता हे मेराtriglycerides बहुत बढ़ा हुआ है तो एक ही मिनिट मे डायग्नोसिस कर लीजिए आप ! की आपका खाना पच नहीं रहा है |कोई कहता है मेरा यूरिक एसिड बढ़ा हुआ है तो एक ही मिनिट लगना चाहिए समझने मे की खाना पच नहीं रहा है |
क्योंकि खाना पचने पर इनमे से कोई भी जहर नहीं बनता|खाना पचने पर जो बनता है वो है मांस,मज्जा,रक्त,वीर्य,हड्डिया,मल,मूत्र,अस्थि और खाना नहीं पचने पर बनता है यूरिक एसिड,कोलेस्ट्रोल,LDL-VLDL| और यही आपके शरीर को रोगों का घर बनाते है !
पेट मे बनने वाला यही जहर जब ज्यादा बढ़कर खून मे आते है ! तो खून दिल की नाड़ियो मे से निकल नहीं पाता और रोज थोड़ा थोड़ा कचरा जो खून मे आया है इकट्ठा होता रहता है और एक दिन नाड़ी को ब्लॉक कर देता है जिसे आप heart attack कहते हैं !
तो हमें जिंदगी मे ध्यान इस बात पर देना है की जो हम खा रहे हे वो शरीर मे ठीक से पचना चाहिए और खाना ठीक से पचना चाहिए इसके लिए पेट मे ठीक से आग(जठराग्नि) प्रदीप्त होनी ही चाहिए|क्योंकि बिना आग के खाना पचता नहीं हे और खाना पकता भी नहीं है |रसोई मे आग नहीं हे आप कुछ नहीं पका सकते और पेट मे आग नहीं हे आप कुछ नहीं पचा सकते|
महत्व की बात खाने को खाना नहीं खाने को पचाना है |आपने क्या खाया कितना खाया वो महत्व नहीं हे कोई कहता हे मैंने 100 ग्राम खाया,कोई कहता है मैंने 200 ग्राम खाया,कोई कहता है मैंने 300 ग्राम खाया वो कुछ महत्व का नहीं है लेकिन आपने पचाया कितना वो महत्व है |आपने 100 ग्राम खाया और 100 ग्राम पचाया बहुत अच्छा है |और अगर आपने 200 ग्राम खाया और सिर्फ 100 ग्राम पचाया वो बहुत बेकार है |आपने 300 ग्राम खाया और उसमे से 100 ग्राम भी पचा नहीं सके वो बहुत खराब है !!
खाना पच नहीं रहा तो समझ लीजिये विष निर्माण हो रहा है शरीर में ! और यही सारी बीमारियो का कारण है ! तो खाना अच्छे से पचे इसके लिए वाग्भट्ट जी ने सूत्र दिया !!
भोजनान्ते विषं वारी (मतलब खाना खाने के तुरंत बाद पानी पीना जहर पीने के बराबर है )
इसलिए खाने के तुरंत बाद पानी कभी मत पिये !
अब आपके मन मे सवाल आएगा कितनी देर तक नहीं पीना ???
तो 1 घंटे 48 मिनट तक नहीं पीना ! अब आप कहेंगे इसका क्या calculation हैं ??
बात ऐसी है ! जब हम खाना खाते हैं तो जठराग्नि द्वारा सब एक दूसरे मे मिक्स होता है और फिर खाना पेस्ट मे बदलता हैं है ! पेस्ट मे बदलने की क्रिया होने तक 1 घंटा 48 मिनट का समय लगता है ! उसके बाद जठराग्नि कम हो जाती है ! (बुझती तो नहीं लेकिन बहुत धीमी हो जाती है )
पेस्ट बनने के बाद शरीर मे रस बनने की परिक्रिया शुरू होती है ! तब हमारे शरीर को पानी की जरूरत होती हैं तब आप जितना इच्छा हो उतना पानी पिये !!
जो बहुत मेहनती लोग है (खेत मे हल चलाने वाले ,रिक्शा खीचने वाले पत्थर तोड़ने वाले !! उनको 1 घंटे के बाद ही रस बनने लगता है उनको एक घंटे बाद पानी पीना चाहिए !
खाना खाने के बाद अगर कुछ पी सकते हैं उसमे तीन चीजे आती हैं !!
1) जूस
2) छाज (लस्सी) या दहीं !
3) दूध
सुबह खाने के बाद अगर तुरंत कुछ पीना है तो हमेशा जूस पिये !
दोपहर को दहीं खाये ! या लस्सी पिये !
और दूध हमेशा रात को पिये !!
इन तीनों के क्रम को कभी उल्टा पुलटा न करे !!फल सुबह ही खाएं (ज्यादा से ज्यादा दोपहर 1 बजे तक ) ! दहीं या लस्सी दोपहर को दूध रात को ही पिये !
जूस या फल सुबह ,दहीं या लस्सी दोपहर , और दूध हमेशा रात को क्यूँ पीना चाहिए ??
ज्यादा विस्तार मे न जाते हुए आप बस इतना समझे कि इन तीनों को पचाने के लिए शरीर मे अलग अलग इंजाएम उत्पन होते है !
जूस या फल सुबह को पचाने के इंजाईम हमेशा सुबह उत्पन होते है इसी तरह दहीं और छाझ को पचाने वाले दोपहर को और दूध को पचाने वाले रात को !!
शाम या रात को पिया हुआ जूस अगले दिन सिर्फ मूत्र के साथ flesh out होता है !
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ये तो हुआ खाने के बाद पानी पीने के बारे मे अब आप कहेंगे खाना खाने के पहले कितने मिनट तक पानी पी सकते हैं ???
तो खाना खाने के 45 मिनट पहले तक आप पानी पी सकते हैं ! अब आप पूछेंगे ये 45 मिनट का calculation ????
बात ऐसी ही जब हम पानी पीते हैं तो वो शरीर के प्रत्येक अंग तक जाता है ! और अगर बच जाये तो 45 मिनट बाद मूत्र पिंड तक पहुंचता है ! तो पानी – पीने से मूत्र पिंड तक आने का समय 45 मिनट का है ! तो आप खाना खाने से 45 मिनट पहले ही पाने पिये !
तो यहाँ एक सूत्र समाप्त हुआ ! आपने पूरी post पढ़ी बहुत बहुत धन्यवाद !!
इसका जरूर पालण करे ! अधिक अधिक लोगो को बताएं post share करे !!
बहुत बहुत धन्यवाद !

पथरी का आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक इलाज BY RAJIV DIXIT JI

सबसे पहले कुछ परहेज !
मित्रो जिसको भी शरीर मे पथरी है वो चुना कभी ना खाएं ! (काफी लोग पान मे डाल कर खा जाते हैं )
क्योंकि पथरी होने का मुख्य कारण आपके शरीर मे अधिक मात्रा मे कैलशियम का होना है | मतलब जिनके शरीर मे पथरी हुई है उनके शरीर मे जरुरत से अधिक मात्रा मे कैलशियम है लेकिन वो शरीर मे पच नहीं रहा है वो अलग बात हे| इसलिए आप चुना खाना बंद कर दीजिए|
आयुर्वेदिक इलाज !
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पखानबेद नाम का एक पौधा होता है ! उसे पथरचट भी कुछ लोग बोलते है ! उसके 10 पत्तों को 1 से डेड गिलास पानी मे उबाल कर काढ़ा बना ले ! मात्र 7 से 15 दिन मे पूरी पथरी खत्म !! और कई बार तो इससे भी जल्दी खत्म हो जाती !!! आप दिन मे 3 बार पत्ते 3 पत्ते सीधे भी खा सकते हैं !
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होमियोपेथी इलाज !
अब होमियोपेथी मे एक दवा है ! वो आपको किसी भी होमियोपेथी के दुकान पर मिलेगी उसका नाम हे BERBERIS VULGARIS ये दवा के आगे लिखना है MOTHER TINCHER ! ये उसकी पोटेंसी हे|
वो दुकान वाला समझ जायेगा| यह दवा होमियोपेथी की दुकान से ले आइये| (स्वदेशी कंपनी SBL की बढ़िया असर करती है )
(ये BERBERIS VULGARIS दवा भी पथरचट नाम के पोधे से बनी है बस फर्क इतना है ये dilutions form मे हैं पथरचट पोधे का botanical name BERBERIS VULGARIS ही है )
अब इस दवा की 10-15 बूंदों को एक चौथाई (1/ 4) कप गुण गुने पानी मे मिलाकर दिन मे चार बार (सुबह,दोपहर,शाम और रात) लेना है | चार बार अधिक से अधिक और कमसे कम तीन बार|इसको लगातार एक से डेढ़ महीने तक लेना है कभी कभी दो महीने भी लग जाते है |
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इससे जीतने भी stone है ,कही भी हो गोलब्लेडर gall bladder )मे हो या फिर किडनी मे हो,या युनिद्रा के आसपास हो,या फिर मुत्रपिंड मे हो| वो सभी स्टोन को पिगलाकर ये निकाल देता हे|
99% केस मे डेढ़ से दो महीने मे ही सब टूट कर निकाल देता हे कभी कभी हो सकता हे तीन महीने भी हो सकता हे लेना पड़े|तो आप दो महीने बाद सोनोग्राफी करवा लीजिए आपको पता चल जायेगा कितना टूट गया है कितना रह गया है | अगर रह गया हहै तो थोड़े दिन और ले लीजिए|यह दवा का साइड इफेक्ट नहीं है |
और यही दवा से पित की पथरी (gallbladder stones ) भी ठीक हो जाती है ! जिसे आधुनिक डाक्टर पित का कैंसर बोल देते हैं !
ये तो हुआ जब stone टूट के निकल गया अब दोबारा भविष्य मे यह ना बने उसके लिए क्या??? क्योंकि कई लोगो को बार बार पथरी होती है |एक बार stone टूट के निकल गया अब कभी दोबारा नहीं आना चाहिए इसके लिए क्या ???
इसके लिए एक और होमियोपेथी मे दवा है CHINA 1000|
प्रवाही स्वरुप की इस दवा के एक ही दिन सुबह-दोपहर-शाम मे दो-दो बूंद सीधे जीभ पर डाल दीजिए|सिर्फ एक ही दिन मे तीन बार ले लीजिए फिर भविष्य मे कभी भी स्टोन नहीं बनेगा|
और एक बात इस BERBERIS VULGARIS से पीलिया jaundice भी ठीक होता है !
आपने पूरी post पढ़ी बहुत बहुत धन्यवाद !!

सोमवार, 29 अगस्त 2016

ब्रांड एम्बेसडर ने ही खोली कम्पनी के दावों की पोल

कभी नेस्ले की मैगी के विज्ञापन में इसे स्वादिष्ट एवं स्वास्थ्यवर्धक बताकर खाने और खिलाने की सलाह देने वाली धक-धक गर्ल माधुरी दीक्षित का कहना है उन्होंने नेस्ले की मैगी न तो कभी खाई, न किसी अपने को खिलाई ही। उन्हें तो मैगी में मानव स्वास्थ्य के लिए खतरनाक ‘एमएसजी’ (मोनो सोडियम ग्लूकोमिट) होने का भी इल्म नहीं है।
post image brand ambandssor madhuri dixit expose maggi
माधुरी ने यह बात प्रदेश में मैगी पर लगे बैन के दौरान जिला खाद्य सुरक्षा विभाग की ओर से भेजे गए कानूनी नोटिस के लिखित जवाब में कही। इसकी पुष्टि जिला खाद्य सुरक्षा अधिकारी एमएन जोशी ने की है। उन्होंने बताया कि फिल्म अभिनेत्री माधुरी दीक्षित को यह नोटिस मई 2015 में भेजा गया था।
वकील के माध्यम से भेजा गया माधुरी का जवाब विभाग को इसी साल जनवरी में मिला। इसमें उन्होंने फिलवक्त और भविष्य में नेस्ले की मैगी का विज्ञापन न किए जाने की भी जानकारी दी है। बता दें कि मैगी में मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक एमएसजी होने की बात आने पर मैगी के इस्तेमाल व बिक्री पर पूरे राज्य में पिछले वर्ष मई से अक्टूबर तक प्रतिबंध रहा।
राजीव दीक्षित जी ने आज से 10 साल पहले ही मेग्गी के बारे में बता दिया था, इस विडियो में देखे
जिला खाद्य सुरक्षा अधिकारी के अनुसार नोटिस के जवाब में माधुरी ने स्पष्ट किया कि ‘मुझे इस बात की जानकारी नहीं थी कि नेस्ले की मैगी में एमएसजी नामक कोई हानिकारक तत्व है और यह मानव स्वास्थ्य के खतरनाक है।’
जोशी ने बताया कि फिल्म अभिनेत्री ने अपने जवाब में फिलवक्त एवं भविष्य में नेस्ले की मैगी का विज्ञापन न करने की बात भी कही है। माधुरी के इस जवाब को हरिद्वार की एडीएम कोर्ट में दाखिल कर दिया गया है, जहां इस मामले की सुनवाई चल रही है

SUMMARY OF RAJIV DIXIT’S LECTURES DAY EIGHT

SUMMARY OF ALL 8 DAYS


1. No water after food for min 1.5 hrs. This is best way to lose weight. 

2. Warm water first thing in morning. Morning saliva is very important and should go into the body not wasted. 

3. Use Lota instead of tumbler. In our society we never had tumblers because lota is much more scientific. Low surface tension is very important since it reduces pressure levels in the body. Example of milk to cleanse skin. Similar thing happens in large intestine – low tension water pulls out the debris lodged in the large intestine. This debris causes innumerable ailments.

4. Water should always be drunk sitting down. 

5. Water should never be drunk cold. It should always be warm. Cold water’s surface tension is higher. It also cools down the stomach hence weakening the rest of the organs since blood supply rushes to stomach. 

6. In extreme heat clay pots water is allowed. 

7. Eat food sitting down. Always sit in cross legged position. 

8. Opposing things should not be eaten together. Milk-curd, honey-ghee, ghee and gud go well together, Kathal-milk, milk-citrus fruits except aamla. 

9. Dwidal and curd not to be eaten together. At worst it should be with Chhonk. Same for Chhaas 

10. Morning meal within 2.5 hrs of sunrise. Evening meal before sunset. If hungry during day one can have gud-chana, gud-moongfali. Too much chikki should be followed by Saunth or ginger. 

11. Should eat locally grown foods. E.g. living in hot area one should not eat much wheat as it grown in cold weather. Bajra is hot so is rice, jowar. Bajra should be eaten with gud and ghee to balance its heat. 


Q&A Session on Last Day


1. Dark circles under eyes – maalish with morning saliva. Useful for any skin problems. 

2. Sleep problem – excess vaat is the cause. – put ghee in nostrils at bedtime. Very imp for children. 

3. High BP – it is only excess acidity in blood. Eat basic foods e.g. methi, gud, lauki, carrot, fruits without juice like apple, banana, guava, paalak, baigan. Soak methi in water over night and chew the seeds and drink the water. Greens are basic. This will also reduce weight and triglycerides. 

4. Asthma is caused by vaat – daalchini with honey, gud, eat coconut daily (unique – has juice but is basic). 

5. Boils in mouth – means large intestine is not clear. Take warm water in morning from lota. Borax 30 or 200 thrice in water. 

6. Gau mootra has no side effects. Body anyways flushes out the excess if taken. 

7. Arthritis is vaat– never undergo surgery. Choona in dahi, chhaas, water juice etc. take Methi danaa. Harshringaar leaves is most basic thing in nature. Crush few leaves and boil in water till half. Drink this like tea in morning. Heals both types of arthritis, rheumatoid and osteo. Moongfali and gud should be eaten. Til seeds, black is better. 

8. Ice cream – never. Else drink hot water mixed with ghee. This will take care of harmful effects of ice cream. 

9. Acidity – eat more basic things, water in morning, water sip by sip. Ajwain ko bhoon ke kaal namak ke saath le. Mishri, gud. 

10. Best salt is Sendha namak – pathar ke namak. Helps in BP and arthritis etc. 

11. Sleepy throughout day – must eat Choona. 

12. Thyroid – dhaniya leave ki chutni warm water ke saath pijiye. Sookhe dhaniye ki bhi pi jaa sakti hai. 

13. Pathri – never eat choona. Pakhaan bhed ka kaadhaa. It’s called Burberis Vulgaris take in Q. Kaadha is better than homeo medicine. 

14. Addiction to alchohol – gau mootra, ginger juice, Saunth ka kaadha. Gau mootra is most important. Smoking increases Sulphur in body – best option is gu mootra. 

15. Cold and cough for children – honey, gud, choona, ghee in nose, haldi and ghee in milk. 

16. Pitta – ghee, ajwain and black salt. 

17. Sneezing – put ghee in nostrils and take choona. 

18. Tonsillitis – haldi milk at night. 

19. Uric acid – basic foods, gau mootra is best. 

20. Obesity – basic foods. 

21. Children urinating in bed – Khajoor boil in milk give both milk and khajoor. 

22. Constipation – take milk with ghee at night, Trifala choorna. 

23. Bones pain – Choona 

24. Coughing in children – Kapha naashak foods like Paan, Saunth, honey, gud. 

25. Trifala – can be given to children above 5 yrs. Best after 14 yrs of age. 

26. Old age joint pains – choona is best. Water sip sip 

27. Anjeer – best for people who feel lack of strength in body. 

28. Canned water – not good at all L tap water boiled is much better. Bleaching is done with chlorine to purify it. Not good. 

29. Bad breath means pet saaf nahin hai. 

30. Numbness in hands and legs – take Choona 

31. TB – gau mootra is best remedy. 


DISEASES and TREATMENTS 


1. Sleeplessness means vaat is high – warmed cow ghee in nostrils before bedtime. Snort very lightly. Various other benefits are no bad dreams, no interruptions during sleep, improved memory for children. 

2. High BP means high acidity in blood. Take basic food stuff. Methi, carrot, any fruits without juice – apple, banana, guava, coconut etc. palak, baigan. Lauki is most basic in veggies. Lowering of acidity will reduce Tryglicerides, cholesterol, overweight etc. Methi seeds should be soaked in water overnight and chewed in the morning. Water to be taken after seeds are chewed. Gajar ko kaddu kas ke khaayen. All greens are basic. 

3. Asthma is caused by too much vaayu. Use basic food items like Daalchini, honey, gud, coconut (upto 50 gm per day). Til is also very effective. 

4. Mouth Ulcers means pet saaf nahin ho raha hai. Drink water in morning to cleanse large intestine. In case this does not help take Borax 30 or 200 (take three doses) from homeopathic shop. Put few drops of Borax in water and take it in three parts. 

5. Gathiya or Arthritis. Never undergo surgery. Atal Behari example Dr. Ranawat. Atal is completely on wheel chair now. Basic foods Choona (can be taken in dahi, chhas, juice upto 2gm per day). Healthy ppl can take upto 1gm per day. Methi seeds, Harshringar tree’s leaves are highly basic. Boil 4-5 leaves in water till it becomes half. Drink this in morning on empty stomach like tea. It treats both types of arthritis – rheumatoid and osteo. 

6. Acidity – water is best medicine when drunk slowly and at frequent intervals. Ajwain ko tawe pe bhoon ke kaale namak ke saath le. Mishri is very good but gud is better. Drop sugar completely. Ajwain can be added to menu – take it with black salt after every meal if having continuous gastric problem. 

7. Noodles - kachra king. Noodles are made after maida is rotten for 6-7 days. Pig flesh juice is added to noodles to make it tasty. 

8. Too much sleep - means you need a type of base in diet. This is best available in choona. To be taken with mattha or chhas. 

9. Diabetes – 1 spoon each of Methi and Trifala choorna ko mila ke garam paani me rakh de aur subah use chaba ke khaaye and drink the water. 3-4 mths the blood sugar will come down. Even diabetics can take gud and juices. Natural sugar is not harmful (fructose) since it is easily digestible. Sugar is harmful. 

10. Pathri or Kidney and Bladder Stones – never take choona. Pakhan bhed medicine. Make kaadhaa of this and drink. This same medicine is available in Homeopathy by the name Berberis Vulgaris. Take mother tincture 10 drops few times a day. 

11. Thyroid – make chatni from dhaniya patti and drink it with water. Only dhaniya leaves – no salt etc. 1 spoon to be taken. Is non dhaniya season this can be done with sookha dhaniya. 

12. Addictions - Quit alchohol and tobacco, cigarette – use sankalp shakti. Else use go mutra not ark. Saunth ka kaadha. 1.5 mths max. 

13. White discharge – Shatavari can be used. Mix it with warm milk and drink at night. 

14. Mestruation - Too much pain, flow, irritation, itching etc during menses – vayu and pitta are high during this time. Take cow ghee in very hot water and drink like tea. Take 2-3 times per day. All menstrual probs will get taken care of. Take this only during menses. 

15. Bad breath – pet saaf rakho. 

16. Haath pair sunn i.e. limbs are numb – eat choona. 

17. Cold and cough happens frequently – take honey, gud or choona as it removes not only vata but also kapha. Cow ghee in nose. Haldi is a kapha nashak. Haldi in milk with ghee is even better. 

18. Tuberculosis – go mutra and not ark. 3-4 months will be enough. Choona 

19. Pitta problems – take cow ghee. Ajwain and kala namak. 

20. Hair loss – dahi ko taambe ke bartan mein rakhe 5-6 din tak jab tak bahut khatta aur green na ho jaye. Isse scalp ko maalish Karen aur ek ghante baad 
shikakai se dho dhen. Repeat once a week. Trifala subah gud ke saath khaayen. Honey ke saath bhi le sakte hain. 

21. Tonsillitis – haldi milk at night. 

22. Uric acid – take more basic stuff. Best is go mutra not ark. 

23. Motapa or Overweight/Obesity – take more basic stuff. Methi, carrot, any fruits without juice – pple, banana, guava, coconut etc. palak, baigan. Lauki is most basic in veggies. Lowering of acidity will reduce Tryglicerides, cholesterol, overweight etc. Methi seeds should be soaked in water overnight and chewed in the morning. Water to be taken after seeds are chewed. Gajar ko kaddu kas ke khaayen. All greens are basic. Take these for 3 mths. Then to balance this take amla for 3 mths. Then back to gajar etc. in a year you can easily lose upto a third of your weight. Take Amla any form = 3-4 fruits equivalent. Overweight people are Vitamin C and Calcium deficient hence Trifala in normal ratio is used. 

24. Bed wetting – khajoor kilao. Boil small pieces in milk. 

25. Constipation – Trifala at night. Else drink milk with ghee at night. Not for more than 3 mths at a time. 

26. Back ache – choona. 

27. Weakness - Anjeer is useful for those who feel they lack strength in body. 


MISCELLANEOUS


1. While drinking water from a tamba vessel one should not be barefoot !

2. Never reheat anything put in fridge once. Leave it out to heat up naturally and then eat it. 

3. Kevda daalaa hua paani keval summer mein. 

4. Arjun ki chhaal subah hi lena 

5. Boiled water is better than canned water. 

6. Coconut oil can be applied to hair. 

7. If you still have icecream drink warm water with ghee. Do not eat ice cream ever. 

8. Eat til after food daily if you want to stay trim and avoid heart attacks. Black til is better. 

9. Sendha namak is the best salt for daily consumption. Kaala namak is 2nd best. It will help lower BP. 

10. Go mutra ark – only 1 spoon. Go mutra shud only be half cup. 

11. Gave arsenic to a cow for 6 years and the cow is still healthy. Arsenic didn’t show up in its urine at all. It had a blue ring in its throat. Shiv in throat. So you can take urine of any cow irrespective of conditions. It has no side effects at all. In case you drink too much the body will expel the excess in 20 mins.