शुक्रवार, 26 अगस्त 2016

दक्षिण कोरिया बर्बाद हुआ वार्ल्ड बैंक और ई.एम.एफ.संस्थों की शर्ते पर चल कर

दक्षिण कोरिया की सरकार ने ईमानदारी के साथ IMF और विश्व बैंक की शर्तो को 1991से पालन किया ।

 


दूसरी बात दक्षिण कोरिया सरकार से कही IMF के अधिकारियों ने कि आपके देश का जो पब्लिक सेक्टर जो है उसको भी खुला छोड़ दीजिये और आप इनका निजीकरण शुरु कर दीजिये क्योंकि पब्लिक सेक्टर को खामखाँ आप बोझे की तरह ढोते रहेंगे आप अपनी छाती पर तो ये आपके लिये नुकसान देगा। तो दक्षिण कोरिया सरकार ने वो भी कर दिया कुछ निर्यात भी उनका 1-2 वर्ष काफी गति से होने लगा। फिर चौथी बात उन्होंने कहना ये शुरु किया आपके अपने बाजार में जो घरेलू उद्योग हैं दक्षिण कोरिया की उनके ऊपर जो अपने प्रोटेक्शन दे रखे हैं उन सुरक्षा को वापस कर लीजिये ताकि दक्षिण कोरियन उद्योग अमरीकी उद्योग के साथ प्रतिस्पर्धा में आ सके और प्रतिस्पर्धा जब आयेगी दक्षिण कोरिया इंडस्ट्री में, तो अमरीकी कंपनियों से शकितशाली प्रतिस्पर्धा हो पायेगी तो गुणवत्ता में सुधार होगी इत्यादि-इत्यादि, उन्होंने वो भी कर दिया। फिर उन्होंने ये कहा कि आप अपने फाईनेंशियल मार्केट को खोल दीजिये तो दक्षिण कोरिया ने सिओल का जो स्टॉक एक्सचेंज है उसे पूरी तरह खोल कर अमरीकी लोगों के हाथ में दे दिया कि ले लीजिये इतना खोल दिया अपने बाजार में। 

फिर उन्होंने इसके बाद एक और बात कही कि दक्षिण कोरिया में बहुत पहले से घरेलू उधोग को प्रोटेक्ट करने के लिये एक Anti dumping law चला करता था तो दक्षिण कोरिया सरकार को कहा IMF के अधिकारियों ने कि Anti dumping law भी वापस कर लीजिये, तो दक्षिण कोरिया सरकार ने वो भी कर लिया और उसके बाद उन्होंने कहा कि अब ऐसा कीजिये अपने देश की अर्थ-व्यवस्था को अमेरिकी अर्थ-व्यवस्था के साथ पूरी तरह जोड़ने के लिये आप अमेरिका के साथ पूरी तरह घुल-मिलकर अब ग्लोबलाईज हो जाइये माने हमारे साथ शामिल हो जाइये, विश्व बाजार में उसके लिये हम जैसे-जैसे कहें वैसे-वैसे चलते जाइये। 

भारतीय संसद में दक्षिण कोरिया को एशियन टाईगर कहाँ गया है
बेचारी दक्षिण कोरिया की सरकार उस मार्ग पर भी चलने लगी और मैं आपको इसी समय एक दूसरी बात कहना चाहता हूँ कि जिस समय ये सब कुछ दक्षिण कोरिया में हो रहा था उसी समय हमारे देश के संसद में हमारे पूर्व वित्त मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने बहुत लंबा भाषण दिया है डेढ़ घण्टे का, वो भाषण की कॉपी मेरे पास है वो संसद की Proceeding में छपा हुआ भाषण है, भारतीय संसद को संबोधित कर रहे हैं कि हमको रिफार्म से डरने की कोई आवश्यकता नहीं है और हमारे देश में कुछ लोग हैं वो नाम तो नहीं लूँगा उसमें शायद हमारे जैसे लोग शामिल होंगे तो वो कह रहे हैं कि हमारे देश में कुछ लोग हैं जो भूमण्डलीकरण (ग्लोबलाईजेशन) के बारे में गलत प्रचार कर रहे हैं हमारे देश में, भूमण्डलीकरण से तो बहुत लाभ होने जा रहा है इस देश में, और ये भूमण्डलीकरण (ग्लोबलाईजेशन) यदि दो-तीन वर्ष हमारे देश में चालू रहा तो हम बहुत प्रगति कर लेंगे जो प्रगति शायद पिछले 40 वर्षो में नहीं हो पाई अगले 5 वर्षो में हम करने जा रहे हैं और उन्होंने अपने भाषण में नाम लेकर दक्षिण कोरिया का जिक्र किया और वो करीब 20 मिनट दक्षिण कोरिया की अर्थ-व्यवस्था पर वो बोले हैं। मनमोहन सिंह तो दक्षिण कोरिया की अर्थ-व्यवस्था पर बोलते हुये वो कह रहे हैं कि देखो दक्षिण कोरिया भी पूरी तरह से खुल गया है पूरी तरह से भूमण्डलीकरण हो गया है और वहाँ पर अब घरेलू उद्योग का प्रोटेक्शन भी समाप्त कर दिया गया है वगैरह-वगैरह।

उनका फाईनेंशियल मार्केट खुल गया है उनके घरेलू बाजार में भी विदेशी कंपनियों को खुली छूट मिल गई है और अंत में बोलते-बोलते क्या कह रहे हैं वो, अब तो दक्षिण कोरिया 'एशियन टाईगर' हो गया है ये जो उन्होंने कह दिया भारतीय संसद में कि दक्षिण कोरिया एशियन टाईगर हो गया है तो हमारे देश के अंग्रेजी समाचार पत्रों ने इसे लपक लिया और भारत के सारे बड़े अंग्रेजी समाचार पत्रों नें उन्हीं समाचार में कुछ थे जिनमें ये छपना शुरु हो गया कि दक्षिण कोरिया तो एशियन टाईगर, जब भी दक्षिण कोरिया के बारे में कोई बात आये तो दक्षिण कोरिया का विशेषण हमेशा एशियन टाईगर । तो एशियन टाईगर वो क्यों है ? क्योंकि जो कुछ भी IMF ने कहा विश्व बैंक ने कहा अमेरिका की सरकार की ओर से जो भी बातें उनके यहाँ आई वो सब के सब उन्होंने लागू कर दी हैं। 

दक्षिण कोरिया की अर्थ-व्यवस्था 7 वर्ष में भूमण्डलीकरण परिणाम क्या निकले ?

तो दक्षिण कोरिया बेचारा चलता गया चलता गया चलता गया 7 वर्ष बीत गये, दक्षिण कोरिया को एक दिन लगा कि जो कुछ हमने 7 वर्ष पहले चालू किया था उसके परिणाम तो दिखते नहीं कभी भी और उल्टी स्थिति अवश्य दिखाई दे रही है, दक्षिण कोरिया में क्या उल्टी स्थिति दिखाई दे रही है ? कि पिछले वर्ष नवम्बर के महीने में दक्षिण कोरिया की संसद में वहाँ के वित्त मंत्री ने भाषण देते हुये कहा कि हमको ये उम्मीद थी कि 7 वर्षों में भूमण्डलीकरण के सारे परिणाम  हमारे पास आ जायेंगे लेकिन 7 वर्ष तक प्रतीक्षा करने के पश्चात परिणाम आना तो दूर किसी उल्टी दिशा में जा रहे हैं ऐसा अनुभव हो रहा है। ये नवम्बर प्रथम सप्ताह में भाषण दे रहे हैं वित्त मंत्री, फिर एक दिन दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति 'किन इल सुंग का भाषण हुआ संसद में तो वहाँ के राष्ट्रपति ने कहना शुरु कर दिया कि हमको अब ग्लोबलाईजेशन और लिब्रलाईजेशन पर एक श्वेत पत्र तैयार करना चाहिये और दक्षिण कोरिया की संसद में उसको पेश करना चाहिये ताकि पता तो चले कि पिछले 7 वर्षो में लाभ कितना हुआ है हानि कितनी हुई है और अभी ये बात चल ही रही थी हम जो है श्वेत पत्र तैयार करेंगे और संसद में पेश करेंगे कि तीसरे कि चौथे दिन समाचार पत्र में समाचार आया कि सिओल का पूरा का पूरा स्टॉक एक्सचेंज का मार्केट धराशायी हो गया कोलेप्स हो गया और जिन दक्षिण कोरियन शेयर के दाम सामान्य रूप से कभी गिरे नहीं, धरती पर  औंधे मुँह पड़े हैं ये अचानक से समाचार पत्र में यह समाचार आई और उसी समाचार के एक सप्ताह के अंदर दक्षिण कोरियन राष्ट्रपति 'किन इल सुंग का एक दूसरा वक्तव्य आ गया जिसमें उन्होंने कह दिया कि हम तो पूरी तरह से बर्बाद हो गये और दोनो हाथ उठाकर उन्होंने सरेण्डर कर दिया ? उसी समय वर्ल्ड इकोनामिक फोरम की एक बैठक चल रही थी तो वर्ल्ड इकोनामिक फोरम में दक्षिण कोरिया का एक प्रतिवेदन भेजा गया प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति की ओर से दक्षिण कोरिया के एक मंत्री ने उसको पढ़ा और वर्ल्ड इकोनामिक फोरम में दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री का प्रतिवेदन जो एक मंत्री द्वारा पढ़ा गया उसके जो शब्द थे वो क्या कि हम पूरी तरह से डूब गये हैं ये ग्लोबलाईजेशन और लिब्रलाईजेशन ने हमको कहीं का नहीं छोड़ा और अब हम दुनिया के लोगों से और दुनिया के तमाम वित्तीय संस्थानों से अपील करना चाहते हैं कि वो हमारे ऊपर जितना ऋण है उसको क्षमा कर दें क्योंकि हम उस ऋण को चुकाने की भी सिथति में नहीं है और वो मैं भूलता नहीं उस राष्ट्रपति का जो शब्द है वो ये कि हम पूरी तरह से दिवालिया (Bankrupt) हो गये हैं और उसके बाद एक दूसरी चिठ्ठी गई है उसकी, और उस दूसरी चिठ्ठी में IMF और विश्व बैंक  के अधिकारियों से कहा कि हमने तो आपके कहे हुये दिशा निर्देशों का ही पालन किया पूरी तरह से, पूरी ईमानदारी के साथ ग्लोबलाईजेशन को लागू किया अपने देश में, लेकिन परिणाम ये है कि हम दिवालिया हो चुके हैं अब हम आपका एक भी पैसे का ऋण वापस नहीं चुका सकते लिहाजा IMF हमारे सारे के सारे ऋण को क्षमा कर दे या फिर हमको नया ऋण दिया जाये कि हम पुराने कर्जे का ब्याज चुका सकें और IMF ने उनकी इस बात को स्वीकार करते हुये कह दिया कि हम आपको ऋण देने को तैयार हैं तो कितना ऋण चाहिये तो दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति ने कहा 60 बिलियन डालरतो IMF ने कहा बिल्कुल ठीक हम आपको 60 बिलियन डालर का लोन दे देंगे तो हमारी छोटी सी हमारी अंतिम शर्त है कि आप दक्षिण कोरिया की देश की सारी की सारी राष्ट्रीय सम्पति (National Assests) हमारे पास गिरवी रख दीजिये। अब दक्षिण कोरिया के सरकार की स्थिति ये है वो जो होती है ना साँप-छुछुन्दर वाली वो ये है मरता क्या ना करता, तो देख लिया कि डूबने वाले हैं मर गये तो क्या ना करें तो उस पर भी हस्ताक्षर कर दिया और आज उनकी स्थिति ये है कि दक्षिण कोरिया की जो राष्ट्रीय सम्पति (National Assests) हैं राष्ट्रीय संपत्ति हैं वो गिरवी रखे जा चुके हैं और दक्षिण कोरिया में इतना जबरजस्त प्रतियोगिता हुआ है पिछले 7 वर्षो में कि दक्षिण कोरिया के सारे के सारे सार्वजनिक क्षेत्र के कारखाने अमरीकी कंपनियों के कंट्रोल में चले गये हैं। प्रतियोगिता के नाम पर वहाँ पर सिवाय एकाधिकार (मोनोपाली) के कुछ हुआ नहीं है। 

दक्षिण कोरिया की कंपनीयों का क्या हाल हुआ ?

एक उदाहरण से समझिये कि आज से 7-8 वर्ष पहले तक दक्षिण कोरिया की कार बनाने वाली सबसे बड़ी कंपनी जिसका नाम है  ^Haundai Motors* उसके ऊपर वहाँ के लोगों को भी गर्व था वहाँ के सरकार को भी गर्व था तो Haundai Motors पूरी तरह से अब अमेरिकी कंट्रोल में है इस समय, और Haundai Motors पर पूरी तरह से अमेरिकन कंपनी का कंट्रोल स्थापित हुआ है, तो अमेरिकी कंपनी जनरल मोटर्स उसे टेक ओवर करने के बाद सबसे पहला काम जो किया वो ये कि हुण्डाई मोटर में जितने भी काम करने वाले कर्मचारी हैं उनको निकाल दिया और सड़क पर खड़ा कर दिया, दक्षिण कोरिया में इस समय करीब-करीब 70 लाख कर्मचारी अब बेरोजगार हो गये हैं। ये Haundai Motors तो उसका एक उदाहरण है ऐसी 100 से अधिक कंपनियाँ दक्षिण कोरिया की अमेरिका के कंट्रोल में जा चुकी हैं। तो ये हुआ 7 वर्ष के ग्लोबलाईजेशन में उनका व्यापार घाटा इतना अधिक बढ़ गया है कि मुद्रा के अवमूल्यन का जो काम शुरु किया था उसके परिणाम बहुत भयंकर निकले हैं। अंत में परिणाम ये निकला है कि उनके राष्ट्रपति ने ये कह दिया है कि ये ग्लोबलाईजेशन नहीं हुआ है Economic recolonization हुआ है 

भारत भी उसी रास्ते पर क्यों चल रहा है ?

दक्षिण कोरिया की मेरे मन में पीड़ा क्या है, मेरे मन में पीड़ा ये है कि मेरे संसद में दक्षिण कोरिया के बारे में 'एशियन टाईगर कहा गया था जिस दक्षिण कोरिया के बारे में पिछले 7 वर्ष से पानी पी-पीकर कसीदे पढ़े जा रहे थे दक्षिण कोरिया के बारे में, आज दक्षिण कोरिया जब धराशायी हो गया है तो ना तो डॉ. मनमोहन सिंह का कोई वक्तव्य आया है ना पी.चिदम्बरम का कोई वक्तव्य आया है, क्यों ? इनको डर लग रहा है कि दक्षिण कोरिया जिस मार्ग पर डूबा है यदि हमने कुछ कहना शुरु किया तो इस देश में हमारी भी पोल-पट्टी खुल जायेगी क्योंकि हमने भी रास्ता तो वही पकड़ा है जो दक्षिण कोरियन सरकार ने पकड़ा था 1991 में,  और मैं प्रतीक्षा कर रहा हूँ दक्षिण कोरिया जब धराशायी हुआ तो उसके बाद हर दिन मैने समाचार पत्र पढ़ा कि देखें भारत के वित्त मंत्री क्या कहते हैं देखें भारत के पूर्व वित्त मंत्री क्या कहते हैं देखें भारत के वो तमाम अर्थशास्त्री क्या कहते हैं जिन्होंने भारत में ढोल पीट-पीटकर ग्लोबलाईजेशन का समर्थन किया था और देखें भारत के वो बड़े संस्थान क्या कहते हैं दक्षिण कोरिया के बारे में, आज तक किसी ने मुँह नहीं खोला है। 'Assocham' में मैं गया मैने पूछा क्यों नहीं मुँह खोलते हो? कहने लगे राजीव भाई किस मुँह से बोलें, Ficci के लोगों से कहा कि आप क्यों नहीं बोलते हो? तो बोले किस मुँह से बोलें। हम ही तो ये ढोल पीट-पीट कर कह रहे थे कि ग्लोबलाईजेशन भारत में स्वर्ग लायेगा, अब हम कैसे कहें इस बात को? अब मैं दक्षिण कोरिया के वित्त मंत्री के एक वक्तव्य को मैं कोट करना चाहता हूँ उनका ये कहना है कि पिछले 7 वर्ष में जो बर्बादी हो गई है हमारे देश में अर्थ-व्यवस्था की, इस बर्बादी को दूर करें और अपने को फिर से खड़ा करें या प्रयास करें तो हमको कम से कम 20 वर्ष लग जायेंगे। 

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