सोमवार, 29 अगस्त 2016

जंक (कूड़ा) फ़ूड से बचें घर का ताजा खाना खाएं !

आजकल बाजारों में आने वाले जंक (कूड़ा) फूड भी स्वास्थ्य के लिए अत्यन्त हानिकारक हैं । ये खाद्य्यपदार्थ मुख्य रुप से मोटापा, हृदय सम्बन्धी रोग, मधुमेह (शुगर) और रक्त चाप (ब्लड प्रेशर) आदि रोगों के लिये काफी हद तक दोषी हैं। उच्च तकनीकी के नाम पर शुध्दता और लम्बे समय तक टिकाये रखने के लिए इनमें जो रसायन मिलाये जाते हैं, वे सभी स्वास्थ्य के लिये अत्यंत हानिकारक होते हैं। जन्क फूड जैसे मैदे से बनी वस्तुएं (मैगी, चाउमीन, समोसा, मट्री, मैदे से बने बिस्कुट, बेकरी आइटम, पिज्जा और बर्गर आदि) सभी वस्तुएं आयुर्वेद मे निषेध हैं, इनसे कफ बढता है और दमा (अस्थमा) जैसी व्याधियां भी होती हैं । बच्चों को मैदे से बनी वस्तुएं बिल्कुल ना दें नहीं तो कफ बिगडेगा और बच्चे चिडचिडे हो जाएगें और आप की कोई बात नहीं मानेगें ।  इनके स्थान पर घर का बना शुद्ध, साफ-सुथरा एवं ताज़ा भोजन करें और शीतल पेय में मठ्ठा,लस्सी,शरबत और औषधीय पेय पियें। घर का ताजा खाना खायें और सबसे अच्छा तो यह है कि भोजन बनने के 48 मिनट के भीतर ही उसे ग्रहण कर लें ; नहीं तो उसके बाद उसकी पोषकता कम होती चली जाती है,  और 12 घंटे बाद तो यह भोजन पशुओं के खाने लायक भी नहीं रह जाता इसलिए बासी खाने से बचना चाहिए।
जंक फुड
स्वस्थ मनुष्य की तुलना में रोगी मनुष्य का भोजन अधिक क्षारीय होना चाहिये । यह भोजन हमारे शरीर में रक्त की अम्लता को सन्तुलित बनाये रखता है जिससे कम से कम व्याधियां होती हैं । जब हम फास्ट फूड या अधिक तले-भुने पदार्थ खाते हैं तो हमारे शरीर में रक्त की अम्लता बढ़ती जाती है इसी कारण हमारा शरीर इसे कम करने के लिए शरीर के अन्य हिस्सों से कैल्शियम और अन्य खनिज तत्व

खींचता है जिससे आर्थ्राइटिस, ऑस्टियोपोरोसिस जैसी गंभीर व्याधियां होती हैं। रक्त की अम्लता को ठीक रखने का सबसे बड़ा मंत्र यह है कि हम जिस क्षेत्र में रहते हैं उसी क्षेत्र मे होने वाले फल,सब्जी,अनाज हमारे लिए सर्वोत्त्तम है।

 विवाह आदि में परोसा जाने वाला भोजन भी अच्छा नहीं होता क्योंकि वहाँ सब कुछ परस्पर विरुद्ध आहार होता है, अर्थात् आइसक्रीम है तो गरमा-गरम सूप भी है; तला-भुना भी अधिक है; पिज्जा, बर्गर जैसा बासी व्यन्जन भी है। यह सब मिलाकर खायें तो सबसे गंदा भोजन होता है और यह भोजन छ: घण्टे में भी नहीं पचता जबकि सामान्य भोजन मात्र 45 मिनट में पचना प्रारम्भ हो जाता है। शून्य डिग्री की आइसक्रीम से लेकर, 60-70 डिग्री के सूप जैसा खाना जब हम एक साथ खाते हैं तो यह अपच और पेट के गंभीर रोगों को जन्म देता है।

बच्चों के लिए  ः-  एक दिन के बच्चे से लेकर 14 वर्ष तक के बच्चों में कफ की प्रधानता होती है इसलिए बच्चों के लियें मैदा और उससे बनी सभी प्रकार की वस्तुयें निषेध हैं (जैसे मैगी, पिज्जा, बर्गर, समोसा, चाउमीन,  बिस्कुट व बेकरी उत्पाद जिनमे मैदा उपयोग होता है) इनसे कफ बिगड़ता है और बच्चे चिड़चिड़े  व हठी  स्वभाव  के हो जाते है ।

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