सोमवार, 29 अगस्त 2016

ठंडा पेय (कोल्ड ड्रिंक्स ) जहर के समान है !


ठण्डे पेयों (कोल्ड ड्रिंक्स) का PH मान 2.4 से लेकर 3.5 तक होता है जो कि एसिड की परिसीमा में आता है, रासायनिक रुप से हम घरों में जो टॉयलेट क्लीनर उपयोग में लाते हैं इसका भी PH मान 2.5 से लेकर 3.5 के बीच होता है। सामान्य रुप से पानी का PH मान 7.5 के आस-पास होता है जो हमारे पीने के लिये सर्वोत्तम है। इसलिये राजीव भार्इ ने 'ठण्डा मतलब टॉयलेट क्लीनर ' का मुहावरा दिया । पोटेशियम सॉर्बेट, सोडियम ग्लूकामेट, कार्बन डार्इ आक्सार्इड जैसे विष इसमें मिलाये जाते हैं इसके अलावा मेलाथियान, लिण्डेन, डीडीटी जैसे हानिकारक रसायन भी मिलाये जाते हैं इन कोल्ड ड्रिंक्स बनाने वाली कम्पनियों ने (मुख्यत: पेप्सी,कोका-कोला ने) हमारे राजनैतिक नेतृत्व को ख़रीदकर जिस तरह से भारतीय बाजार पर कब्ज़ा किया है वह हम सबके सामने हैं, संसद के भोजनालय में प्रतिबंधित होने के बाद भी यह पूरे देश में धड़ल्ले से बिक रही है। हम अपने स्वास्थ्य का ध्यान स्वयं रखें और इन ठण्डे पेयों से बचें, इससे आप आंतो के कैंसर, अपच, एसिडिटी जैसे रोगों से भी बच सकते हैं ।

राजीव भाई


95 हजार परिवारों के लिए सॉफ्ट ड्रिंक है ठंडी मौत


नई दिल्ली -  अमेरिकी संस्था नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डायबिटीज डायजेस्टिव एंड किडनी डिजीज के अुनसार दुनिया में 1.80 लाख लोग प्रतिवर्ष सॉफ्ट ड्रिंक के अत्यधिक सेवन के कारण दम तोड़ रहे हैं। ऐसी ही एक रिपोर्ट हमारे देश के बारे में मार्च में आई अमेरिका की प्रतिष्ठित संस्था इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मैट्रिक्स एंड इवैल्यूवेशन की ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज स्टडीज.2010 में कहा गया है भारत में 2010 में 95,427 लोगों की मौत की एक बड़ी वजह इन अति मीठे सॉफ्ट ड्रिंक्स का सेवन है। इन मौतों की दर में 1990 की तुलना में 161 प्रतिशत की वृद्धि हुई है 1990 में सॉफ्ट ड्रिंक्स की लत के कारण 36,591 लोगों ने दम तोड़ा था । 
 
संस्था के डायरेक्टर ऑफ कम्यूनिकेशन बिल हीसेल्स का कहना है कि कई गैर संक्रामक रोगों की वजह से दम तोडऩे वाले लोगों के खान-पान पर शोध के बाद ये नतीजे सामने आये हैं। 2010 पर आधारित इस रिपोर्ट के अनुसार भारत में कोला पीने के आदी लोगों में से 78,017 दिल की बीमारी की वजह से मरे 11,314 लोग सॉफ्ट ड्रिंक्स के कारण डायबिटीज के रोगी बन गये जबकि लगभग 6096 कैंसर रोगी बनकर दम तोड़ चुके हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि 1990 में 36,591 लोगों की विभिन्न गैर संक्रामक रोगों से मरने का एक प्रमुख कारण अति मीठे सॉफ्ट ड्रिंक्स थे। हालांकि इस रिपोर्ट से यह खुलासा नहीं हुआ कि वे कौन से कैमिकल थे जो मौत का कारण बने । 
 
कैसे किया शोध 
भारत में 2010 में प्राकृतिक रूप से मरने वाले लोगों के आंकड़े इकठ्ठे किये गये इसके लिये मौत की वजह की सभी उपलब्ध जानकारियाँ जुटाई गईं असमय मौत के मामलों में उम्र लिंग और क्षेत्र के विश्लेषण में 67 अलग-अलग रिस्क फैक्टर्स को अति मीठे सॉफ्ट ड्रिंक्स पीने की आदत से मिलान किया गया और उनकी तुलना 1990 और 2010 के आंकड़ों से की गई। ब्रिटेन की प्रतिष्ठित मेडिकल जन लैंसेट में हाल ही में प्रकाशित रिपोर्ट से भी आंकड़े और जानकारियों को शोध में शामिल किया गया है। 

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