सोमवार, 29 अगस्त 2016

भोजन के अन्त मे पानी विष के समान है

भोजन हमेशा धीरे-धीरे, आराम से जमीन पर बैठकर करना चाहिए ताकि वह सीधे आमाशय में जा सके। यदि पानी पीना हो तो भोजन से 48 मिनट पहले और डेढ़ घण्टा बाद पानी पियें। भोजन के समय पानी ना पियें,  यदि प्यास लगती हो या भोजन अटकता हो तो मठ्ठा/छाछ ले सकते है या उस मौसम के किसी भी फल का रस पी सकते हैं (डिब्बा बन्द फलों का रस ग़लती से भी ना पियें) ! 

पानी नहीं पीना है क्योंकि जब हम भोजन करते हैं तो उस भोजन को पचाने के लिए हमारे जठर में अग्नि प्रदीप्त होती है उसी अग्नि से वह भोजन पचता है। यदि हम पानी पीते हैं तो भोजन पचाने के लिए उत्पन्न हुर्इ अग्नि मंद पड़ती है जिसके कारण भोजन अच्छी तरह से नहीं पचता और वह विष बनता है जो कर्इ प्रकार के रोगों को उत्पन्न करता है। भोजन के मध्य में थोड़ा सा पानी पी सकते हैं एक/दो छोटे घूँट केवल तीन परिस्थितियों में ही, जैसेः-
पानी
1) भोजन  गले में अटक जाये, 
2) भोजन  करते समय छींक या खांसी के कारण और 
3) यदि आपके भोजन में दो प्रकार के अन्न है (जैसे गेहूँ और चावल, गेहूँ और बाजरा, मक्की और चावल आदि),  तो भोजन के मध्य मे एक अन्न को लेने के बाद और दूसरा अन्न प्रारम्भ कर्रने से पहले आप एक/दो छोटे घूँट पानी ले सकते है लेकिन अन्त में पानी ना पियें। 

भोजन के तुरन्त बाद पानी नहीं पीना, तो क्या पियें ?

भोजन के अंत में सुबह के समय ऋतु के अनुसार फलों का रस ले सकते हैं। 

दोपहर में भोजन के बाद छाछ या मटठा या तक्रम ले सकते हैं।

शाम के भोजन के बाद रात्रि में दूध पीकर सोना सबसे अच्छा है। 

भोजन की दिनचर्या में इतना परिवर्तन हो जाये तो स्वास्थ्य अच्छा हो जायेगा। अगर मोटापा दूर करना हो तो भोजन के अन्त में पानी पीना बन्द कर दें एक - दो महीने में लाभ मिलेगा, अपनी दिनचर्या मे परिवर्तन करके देख सकते हैं।

लाभ :-    मोटापा कम करने के लिए यह पध्दति सर्वोत्त्तम है। पित्त की 
रोगों को कम करने के लिए अपच, खट्टी डकारें, पेट दर्द, कब्ज, गैस आदि रोगों को इस पध्दति से अच्छी तरह से ठीक किया जा सकता है।

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