शनिवार, 27 अगस्त 2016

भारत के पेड़ो के लिये काल है ये कंपनी ! हर साल काट देती है 14 करोड़ पेड़

एक कंपनी है जो सिगरेट बेचती है, हिंदुस्तान में सबसे ज्यादा सिगरेट बेचकर हिंदुस्तान के लोगों के फेफड़े गलाती है, लोगों को व्यसन करवाती है और जो सिगरेट पीते हैं उनको कैंसर होता है, उनके फेफड़े गलते हैं, दमा होता है,अस्थमा होता है, ब्रोंक्लिय्स अस्थमा होता है, जो सिगरेट नहीं पीते हैं उनको और जल्दी होता है क्योंकि सिगरेट पीने वाला जो धुआं फेंकते है, नहीं पीने वाला वो धुंए को खींचता रहता है । और सामान्य रूप से यह कहा जाता है कि सिगरेट पीने वाला मरता है उससे जल्दी उसके पड़ोस में बैठा हुआ पहले मर जाता है
आप अंदाजा लगाइए एक ITC कंपनी है, उसका भारत में नाम है इंडियन टोबैको कंपनी उसका असली नाम है अमेरिकन टोबैको कंपनी!  भारत में आकर नाम बदल दिया जैसे मैंने कहा ना कि हिंदुस्तान लीवर का असली नाम है यूनी लीवर भारत में नाम रख लिया हिंदुस्तान लीवर अब उसको हिंदुस्तान यूनिलीवर बोलने लगे हैं। ऐसे ही अमेरिकन टोबैको कंपनी ने नाम रख दिया इंडियन टोबैको कंपनी, अब इस कंपनी का भारत देश में जो Initial paid of Capital (यानी की शुरुवात में लगाई गई पूंजी) है वह मात्र 37 करोड रुपए का है और इस कंपनी का एक साल का प्रॉफिट 3120  करोड रुपए का है इसको भारत में काम करते करते 3 साल में 10 हजार करोड़ के आस पास का प्रॉफिट है और 60 साल में अगर आप अंदाजा लगाएंगे तो लाख करोड़ से के ऊपर के आंकड़े निकलेंगे कुल 38 करोड़ रूपये  लगा कर इस  कंपनी ने लाखों करोड़ों रुपए यहां से लूट लिए और आप जानते हैं भारत में लगभग 500000 लोग हर साल कैंसर से इस देश में मर जाते हैं उन कैंसर से मरने वालों को इलाज पर जो खर्च होता होगा वह भी इस कंपनी के कारण हमारे समाज का कितना बड़ा हिस्सा है। पहले सिगरेट बेचना लोगों  को कैंसर से मारना फिर इस देश का पैसा लेकर विदेशों में चले जाना
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फिर इस देश में सबसे बड़ा अत्याचार जो ये कंपनी करती है। आपको मालूम है सिगरेट बनाने के लिए कागज लगता है और सिगरेट का कागज सबसे ज्यादा कीमती कागज होता है और सिगरेट के कागज को बनाने के लिए सबसे ज्यादा पेड़ कटते हैं राजीव दीक्षित जी ने इस कंपनी का जब अध्यन किया तो पता चला कि यह कंपनी अगर 500 सिगरेट बनाती है तो भारत का एक पेड़ कट जाता है। 500 सिगरेट में जितना कागज लपेटा जाता है फिर 500 सिगरेट को डिब्बियों में बंद करने के लिए इतना कागज़ खर्च होता है और उन डिब्बियों को बड़े कार्टून में पैक करने के लिए जितना कागज खर्च होता है फिर उन सिगरेट को बेचने के लिए जितना विज्ञापन करने पड़ते हैं उसमें जो कागज खर्च होता है एवरेज 500 सिगरेट पर एक पेड़ कट जाता है और इस कंपनी की हर साल इस देश में भी 20 अरब  से ज्यादा सिगरेट बिकती हैं। लगभग 14 करोड पेड़ हर साल यह कंपनी भारत में कटवा देती है।
हम हिंदुस्तानी लोग पेड़ लगते हैं पर्यावरण की रक्षा करने के लिए पर्यावरण की शुद्धी करने के लिए हम पेड़ लगाते हैं सरकार हमको कहती है पेड़ लगाओ। हम पेड़ लगाते हैं लेकिन दुख और दर्द इस बात का है कि वह पेड़ को ITC कंपनी कटवा देती है हर साल 14 करोड पेड़ कट जाते हैं और इस देश की विचित्र स्थिति क्या है कि ITC कंपनी 14 करोड पेड़ काटती है भारत सरकार की नजरों में वह कोई अपराध नहीं है लेकिन गांव का अगर कोई साधारण आदमी जंगल में जाकर पेड़ काटकर खाना बनाने के लिये अगर लकड़ी ले आता है तो उसको जेल हो जाती है और उसको सजा होती है।
अब तो ऐसी हास्यास्पद स्थिति है जो पेड़ मैंने लगाया, आपने लगाया, अपने खेत में लगाया, उसको भी आप नहीं काट सकते। आप का लगाया हुआ पेड़ आप नहीं काट सकते कानूनन जुर्म है और सरकार जेल की सजा करा देती है। उसमें पुलिस पकड़ कर ले जाती है, उसमें फॉरेस्ट डिपार्टमेंट वाले ले जाते हैं हमारे देश में हजारों हजारों वनवासी भाई-बहनों पर आदिवासी भाई-बहनों पर फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के मुकदमे चल रहे हैं कि उन्होंने घर में रोटी बनाने के लिए कोई पेड़ से लकड़ी ले लिया, रोटी पकाने के लिए जंगल से लकड़ी ले लिया तो वह अपराध है और सिगरेट बनाने के लिए करोड़ों पेड़ कट गए इस देश में वह सरकार अपराध मानती ही नहीं है
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इसका मतलब बिल्कुल साफ है कि भारत की सरकार वनवासी और आदिवासियों के लिए नहीं चल रही है भारत की  सरकार ITC जैसी बड़ी कंपनियों के लिए काम कर रही है। कितनी बड़ी विडंबना है हमारे हजारों वनवासी आदिवासी भाई बहन हर महीने पुलिस थाने में उपस्थिति दर्ज कराते हैं हर महीने उन की अदालत में पेशी होती है पाँव घिस जाते हैं अदालत में चक्कर काटते-काटते न्याय नहीं मिलता तारीख पर तारीख पढ़ती रहती है। अपराध क्या है बहुत मामूली सा की उन्होंने जंगल से लकड़ी लाकर अपनी रोटी बनाई और ITC कंपनी  ने सिगरेट बनाने के लिए 14 करोड़  पेड़ हर साल काटे। 28 करोड़ पेड़ 2 साल में काटे। पेड़ों की ऐसी व्यवस्था हमारे देश में चल रही है।

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